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रिश्वत का रोग

जयपुर के एक युवा चिकित्सक डॉ. शशांक सेन की प्रतिक्रिया है- 'हाल ही पत्रिका में प्रकाशित चिकित्सकों के भ्रष्टाचार सम्बन्धी समाचारों ने साख खोते जा रहे चिकित्सकीय पेशे को शर्मशार ही किया है। 'डॉक्टर से रिश्वत लेते डॉक्टर गिरफ्तार' (24 अप्रेल) और 'डॉक्टर के घर करोड़ों की सम्पत्ति' (संदर्भ डॉ। केतन देसाई प्रकरण, 25 अप्रेल) समाचारों को पढ़कर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति आहत हुए बिना नहीं रहेगा। यूं तो भ्रष्टाचार सब जगह है, लेकिन डॉक्टर होने के नाते मैं अपने इस पेशे के प्रति ज्यादा चिंतित हूं। हमारा पेशा औरों से भिन्न है। जिन्दगी और मौत देने वाला तो भगवान है, फिर भी करोड़ों लोग चिकित्सकों को भगवान से कम नहीं मानते। उन पर क्या बीतती होगी, जब वे ऐसे समाचार पढ़ते हैं। रिश्वतखोरी की दोनों घटनाएं शर्मनाक हैं। दोनों आरोपी चिकित्सक खास जिम्मेदारी के ओहदे पर बैठे हुए वरिष्ठजन हैं।' जोधपुर से दिवाकर सोनी ने लिखा- 'मैं यकीन से कहता हूं कि भारत समेत दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है, जहां चिकित्सक बी.पी.एल. श्रेणी में आता हो। भारत में भी एक सामान्य चिकित्सक को इतना अवश्य मिल जाता है कि वह आत्मसम्मान पूर्वक जीवन-यापन कर सके। इसलिए यह तो स्पष्ट है कि चिकित्सक भी अन्य भ्रष्टाचारियों की तरह लालच का शिकार हो रहे हैं। लेकिन इसके परिणाम जितने गम्भीर हैं, उतने किसी और पेशे में नहीं हैं। रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार भले ही चिकित्सा-कौशल से सीधे न जुड़े हों, परन्तु ये बुराइयां कहीं न कहीं रोग-निदान पर असर डालती है जो इंसानी जिन्दगी और मौत से जुड़ी हैं।'

प्रिय पाठकगण! भ्रष्टाचार सम्बन्धी समाचारों पर पाठक सदैव त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। सम्भवत: इस 'महामारी' से हर व्यक्ति प्रभावित है। पत्रिका के सर्वे (2 मई) से भी यह जाहिर है। पाठकों ने चिकित्सा क्षेत्र के संदर्भ में फैले भ्रष्टाचार को इंगित किया है। इंदौर से देवेन्द्र राज शुक्ला ने लिखा- 'मेडिकल कौंसिल ऑफ इण्डिया एक सम्मानित संस्था है। चिकित्सा-पेशे से जुड़े मानदंड उसकी निगरानी में तय होते हैं। लेकिन जब संस्था का अध्यक्ष ही दो करोड़ की रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार होता है तो संस्था के सम्मान को तार-तार कर देता है। दिल्ली, अहमदाबाद और अन्य ठिकानों पर सी।बी।आई. छापों में डॉ. केतन देसाई के पास करोड़ों रुपए की सम्पत्ति इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि इतनी सम्पत्ति कोई अपने वेतन से तो सात जन्मों में भी अर्जित नहीं कर सकता।'

अजमेर से धीरज गुप्ता ने लिखा- 'सर्वाधिक गम्भीर बात यह है कि डॉ। केतन देसाई को एक निजी मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के बदले रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा गया। अब तो यह भी सामने आ रहा है कि डॉ. देसाई ने देश के कई निजी मेडिकल कॉलेजों से करोड़ों की रिश्वत लेकर मेडिकल कौंसिल की अनुमति दिलवाई। रिश्वत देकर मान्यता प्राप्त करने वाली संस्थाएं मेडिकल क्षेत्र में कैसा योगदान कर रही होंगी, यह हर कोई समझा सकता है।'

भोपाल से अनुपम श्रीवास्तव के अनुसार- 'मैं ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जिसने अपने सुपुत्र को एक निजी मेडिकल कॉलेज में लाखों रुपए रिश्वत देकर दाखिला कराया, जो फिसड्डी था। आज वह डॉक्टर बनकर धड़ल्ले से प्रैक्टिस कर रहा है और ऊंची फीस वसूल कर रहा है। उसके पिता का तर्क है, बच्चे को डॉक्टर बनाने के लिए हमने लाखों का इन्वेस्टमेंट किया था।'

हरेन्द्र बेनीवाल (बाड़मेर) ने लिखा- 'रिश्वत देकर मान्यता प्राप्त करने वाली मेडिकल कॉलेज छात्रों से वसूली प्रक्रिया अपनाती है। सीटों में हेराफेरी करके ऊंचा चंदा वसूल करती है। कम अंकों के बावजूद छात्रों को दाखिला दे देती है, जबकि ज्यादा अंकों वाले छात्रों को लटका देती है। जयपुर की एक निजी मेडिकल कॉलेज का ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों सामने आया था।'

जयपुर से धनञ्जय शर्मा ने लिखा- 'राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट विभागाध्यक्ष अगर किसी डॉक्टर से ही रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाएं तो फिर कहने के लिए क्या रह जाता है। यह विभाग कई जटिल मामलों का संधारण करता है। विभाग की सिफारिश और अन्वेषण पर कानून और न्याय की बुनियाद टिकी होती है। वह विभाग भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है- यह सवाई मानसिंह अस्पताल के मेडिकल ज्यूरिस्ट विभागाध्यक्ष डॉ। बी.एम. गुप्ता की गिरफ्तारी से साफ हो जाता है।'

उदयपुर से शिवानी माथुर ने लिखा- 'रिश्वतखोरी देश की एक गंभीर महामारी का रू प धारण कर चुकी है। हालांकि भ्रष्टाचार के और भी कई रू प हैं, लेकिन सबसे बड़ा दैत्य तो रिश्वतखोरी ही है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वर्ष 2008 में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों ने मूलभूत सुविधाओं को हासिल करने के लिए 90 अरब रुपए की रिश्वत दी। अब यह राशि 100 अरब के पार जा चुकी होगी। अंदाज लगा सकते हैं कि भारत में रिश्वतखोरी की समस्या कितनी विकराल है।'

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